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Thursday, April 26, 2012

Ravini™INC

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Friday, April 6, 2012

www.ravini.in गूगल का चमत्कारी चश्मा


गूगल ने संवर्धित रिएलिटी चश्मों पर किए गए शोध की जानकारी सार्वजनिक कर दी है.
इस परियोजना का नाम है प्रोजेक्ट ग्लास और गूगल ने इससे जुड़ी संक्षिप्त जानकारी, जैसे इसकी तस्वीरें और वीडियो अपने सोशल नेटवर्किंग साइट गूगल+ पर जारी की हैं.

चश्मे में लगे स्क्रीन पर तमाम जानकारियां हासिल की
जा सकती हैं
तस्वीरों में चश्मे पर लगे माइक्रोफोन और आंशिक रूप से पारदर्शी वीडियो स्क्रीन को दर्शाया गया है जो कि इस्तेमाल करनेवाले की दाईं आंख के सामने लगी होगी.
इस उत्पाद को विकसित करनेवाले शोधकर्ताओं का कहना है कि गूगल+ पर जारी कर वो इसके बारे में लोगों की राय जानना चाहते हैं.
हालांकि उन्होंने ये संकेत नहीं दिया कि ये उत्पाद बिक्री के लिए बाजार में कब उतारा जाएगा और इसकी कीमत क्या होगी.



गूगल की प्रयोगशाला गूगल एक्स ने अपने बयान में कहा, ''हममें से कुछ लोगों ने प्रोजेक्ट ग्लास की शुरुआत की ताकि ऐसी तकनीक विकसित की जा सके जिससे आपको अपनी दुनिया से जुड़ी बातें पता चल सकें और उसे आपस .में बांटा भी जा सके. हम ये जानकारी इसलिए साझा कर रहे हैं ताकि इस पर बातचीत की जा सके और आपके सुझावों से सीखा जा सके.''

हममें से कुछ लोगों ने प्रोजेक्ट ग्लास की शुरुआत की ताकि ऐसी तकनीक विकसित की जा सके जिससे आपको अपनी दुनिया से जुड़ी बातें पता चल सकें और उसे आपस में बांटा भी जा सके."
गूगल एक्स

सुविधाएं

रिएलिटी चश्मों पर जारी किए गए वीडियो से पता चलता है कि उपभोक्ताओं को इससे 14 अलग-अलग तरह की सेवाएं मिल सकेंगी, जिनमें मौसम संबंधी जानकारी, उनकी भौगोलिक स्थिति और डायरी में दर्ज व्यस्तताओं की सूचना शामिल है.
फिल्म में दिखाया गया है कि चश्मा प्रयोगकर्ता को शाम की एक मुलाकात की सूचना देता है और ये भी बताता है कि शाम को बारिश होने की दस फीसदी संभावना है.
गूगल का चश्मा जीपीएस चिप के जरिए ये भी चेतावनी देता है कि सब-वे सेवा निलंबित है.
उपभोक्ता का कोई दोस्त यदि उसे संदेश भेजता है कि वो उससे दिन में किसी वक्त मिलना चाहता है तो उसे भी बोलकर जवाब दिया जा सकता है.


चश्मे में गूगल मैप की सुविधा भी उपलब्ध है जिसकी मदद से उपभोक्ता अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच सकता है.
वीडियो डिस्प्ले वाला चश्मा ये भी बताएगा कि
सब-वे सेवा निलंबित है.
इसके साथ ही यूजर अगर किसी दृश्य को देख रहा है और उसकी तस्वीर लेना चाहता है तो वो भी इस चश्मे से संभव है, साथ ही तस्वीर को मित्रों के साथ शेयर करने का विकल्प भी मौजूद है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी.
वीडियो में ये भी दिखाया गया है कि गूगल के चश्मे से संगीत भी सुना जा सकता है.

कीमत

गूगल के इस प्रोजेक्ट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे और कुछ खबरों में इसे बेहद गोपनीय बताया जा रहा था, लेकिन ये पहली बार है कि गूगल ने सार्वजनिक कर दिया है कि वो किस परियोजना पर काम कर रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने पहले खबर दी थी कि गूगल के चश्मे का पहला संस्करण इस साल के आखिर में बिक्री के लिए बाजार में आएगा और इसकी कीमत होगी 250 से 600 डॉलर के बीच.
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वीडियो में जो तकनीक दिखाई गई है उसे बाजार में आने में थोड़ा और वक्त लग सकता है.
इससे पहले 'ब्रदर' जैसी कंपनी ने इस तकनीक को विकसित करने का प्रयास किया था लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल सकी.

प्रतियोगिता



गूगल अगर चश्मे को कामयाबी से बाजार में उतार पाता है तो उसे कुछ अन्य कंपनियों से प्रतियोगिता का सामना भी करना पड़ सकता है.
गूगल के चश्मे से दुकान में रखी चीजों की भी
 जानकारी मिल सकेगी.
2008 में एप्पल ने लेसर तकनीक पर आधारित सिर पर लगने वाले एक डिस्प्ले सिस्टम का पेटेंट करवाया था जिसमें आईपॉड से वीडियो देखने की सुविधा थी.
हाल ही में सोनी और माइक्रोसॉफ्ट ने भी उपभोक्ता की आंखों के ठीक सामने लगने वाले छोटे डिस्प्ले को विकसित करने के विचार को पेटेंट करवाया है.
गूगल इससे पहले भविष्य की अपनी योजनाओं के बाजार में उतारे जाने से कई साल पहले ही उसकी घोषणा कर देता था.
जैसेकि 2010 में कंपनी ने घोषणा की थी कि उसने कैलिफोर्निया की सड़कों पर एक स्वचालित कार का परीक्षण किया है, लेकिन ये नहीं बताया था कि ऐसी कार बिक्री के लिए कब उपलब्ध हो सकेगी.


www.ravini.in गूगल का महातेज़ ब्रॉडबैंड

गूगल फाइबर

गूगल अमरीका के कैन्सस शहर में दुनिया के सबसे तेज़ इंटरनेट के लिए ख़ास फाइबर की तारें बिछाने जा रहा है. इस नए नेटवर्क के शुरू हो जाने के बाद इस शहर में एक जीबीपीएस की डाउनलोड क्षमता वाला इंटरनेट उपभोक्ताओं को मिल सकेगा.
यह इंटरनेट कितना तेज़ है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी अमरीका में इंटरनेट की औसत गति 12.67 एमबीपीएस है. भारत में यह गति 1.92 एमबीपीएस है.
वर्तमान में दुनिया में सबसे तेज़ औसत ब्रॉडबैंड दक्षिण कोरिया में उपलब्ध है जहाँ 31.77 एमबीपीएस की डाउनलोड गति उपलब्ध है. दुनिया में ब्रॉडबैंड की गति के मामले में अमरीका 30 वें स्थान पर आता है जबकि भारत इस मामले में 137 वें पायदान पर खड़ा है.

भविष्य

कई विशेषज्ञों का मानना है कि गूगल फाइबर नाम की यह परियोजना इंटरनेट का भविष्य है. पर इस परियोजना के तहत उपलब्ध होने वाली इंटरनेट की स्पीड इस कदर ज़्यादा है कि उद्योगों और लोगों के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पडेगा यह कह पाना मुश्किल है.
कैन्सस शहर में एक तकनीकी मार्केटिंग सलाहकार एरोन डेकन कहते हैं " यह बताता है कि दुनिया किस तरफ जा रही है."
हालाँकि इंटरनेट का बीज अमरीका में ही सबसे पहले पनपा था लेकिन समय के साथ इंटरनेट डाउनलोड के मामले में अमरीका पिछड़ता ही चला गया. डेकन कहते हैं कि दुनिया में कुछ जगहें हैं जहाँ बहुत तेज़ ब्रॉडबैंड हैं लेकिन अमरीका में समय के साथ बदलने की रफ़्तार तुलनात्मक रूप से कम है.

अनजाने असर

डेकन

"इस नए ब्रॉडबैंड की वजह से जिस तरह से वीडियों बनाए जाते हैं उन पर असर पडेगा. इसका सीधा मतलब यह भी होगा कि छोटे व्यवसायों और उद्योग धंधों में शामिल लोग तेज़ी के साथ बिना किसी समस्या के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर पाएगें. इसके अलावा छोटे व्यवसाय क्लाउड कम्प्यूटिंग का व्यापक इस्तेमाल कर पाएगें."
पर एक महा तेज़ ब्रॉडबैंड का कैन्सस शहर के आम जन जीवन पर क्या असर पडेगा यह अनुमान लगा पाना विशेषज्ञों के लिए भी मुश्किल है. बहुत तेज़ डाउनलोड का मतलब है कि लोग जिन वेब साइटों का इस्तेमाल पहले करते थे अब उनका इस्तेमाल अधिक तेज़ी के साथ कर पायेगें.
डेकन कहते हैं " लोग मजाक में कहते हैं कि इसका अर्थ होगा तेज़ यू ट्यूब डाउनलोड."
डेकन के अनुसार इस नए ब्रॉडबैंड की वजह से जिस तरह से वीडियों बनाए जाते हैं उन पर असर पडेगा. इसका सीधा मतलब यह भी होगा कि छोटे व्यवसायों और उद्योग धंधों के लोग तेज़ी के साथ बिना किसी समस्या के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर पाएगें. इसके अलावा छोटे व्यवसाय क्लाउड कम्प्यूटिंग का व्यापक इस्तेमाल कर पाएगें.
डॉक्टरों और अस्पतालों को यह फायदा होगा कि वे आसानी के साथ भारी भरकम मेडिकल चित्र जैसे एमआरआई के स्कैन भेज पाएगें. लोगों की सुरक्षा पर यह असर होगा कि बहुत ही उच्च क्षमता के सीसी टीवी कैमरों का इस्तेमाल किया जा सकेगा.

'वाई फाई बिन बेकार'

कैन्सस के लोगों के इस परियोजना को लेकर अति उत्साह के बावजूद कई लोग इसको लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं. डेकन का कहना है "तकनीक एक दुधारी तलवार है. आप इसके ज़रिये अपने लिए नेतृत्व खडा कर सकते हैं या फिर आप एक गिनीपिग की तरह भी काम आ सकते हैं."
गूगल के द्वारा 2010 सुपर हाई स्पीड ब्रॉड बैंड की परिकल्पना सार्वजनिक किए जाने के बाद से दुनिया बदल चुकी है. ओहायो स्टेट यूनीवर्सिटी में भूगोल के प्रोफ़ेसर एड मालेकी जो की तकनीक और अर्थशास्त्र पर भी महारथ रखते हैं वो कहते हैं कि उपभोक्ता बदल रहा है.
मोबाइल कंपनियों की बढ़ती सख्ती के बाद आम उपभोक्ता ज़्यादा से ज़्यादा वाई फाई का इस्तेमाल करने लगे हैं. मालेकी के अनुसार अगर गूगल अपना सुपर फास्ट ब्रॉडबैंड वाई फाई पर उपलब्ध करता है तो तो ठीक है वरना यह लोगों की कोई ख़ास मदद नहीं करेगा."
अमरीका में तकनीक पर नज़र रखने वाली एक दूसरी विशेषज्ञ सुश्री बेले का कहना है कि दुनिया बदल देने वाली तकनीकों को जड़ पकड़ने में बरसों लग जाते हैं.
बेले के अनुसार "जब बिजली आई तो लोगों ने घरों में इसे इसलिए अपना कि यह तेल से जलने वाले दियों की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक थी. उस समय किसी महान दूरदृष्टा ने भी नहीं सोचा होगा कि बिजली का प्रयोग व्यापार और मानव जाति को किस तरह से बदल देगा."


Sunday, April 1, 2012

Release, Beta, and Dev Versions of Google Chrome

                                                                          
Google Chrome seems to have a new version coming out all the time, and is already on version 19 after being released less than Six years ago. Chrome makes it easy to stay Up-To-Date since it Automatically installs the latest version without any prompts or installs, so you can simply install Chrome and use it without worrying about updates.  However, there are actually three different release channels of Chrome Available: Release, Beta, and Dev.  

  1. The Release channel is the default, Standard version of Chrome, and it will generally be the most stable on any platform.  
  2. The Beta channel is best for those who like to live on the cutting edge, and don’t mind a few glitches in exchange for the latest features.  
  3. The Dev channel is the developer preview, and will often be the least stable as it is the test bed for new ideas.
                                    Download Google Chrome BETA & DEV