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Friday, September 30, 2011

World’s youngest CEO सुहास गोपीनाथ


                                              
आज रविनी ब्लॉग पे हम आपको मिलवायेंगे दुनिया के YOUNGEST CEO से . CEO  (Chief Executive Officer) यानि किसी company का सबसे प्रमुख अधिकारी ,कहने की बात नहीं है कि यह एक बहुत ही जिम्मेदारी भरा पद है. और इस पद तक पहुचते-पहुँचते बाल सफ़ेद हो जाते हैं.
जब पहली बार मेरे मन में ये सवाल आया कि भला दुनिया का सबसे कम उम्र वाला CEO कौन होगा तो मैंने सोचा जरूर ये कोई American होगाजिसने बीच में ही अपनी पढाई छोड़ कर किसी गराज से कोई IT  कंपनी शुरी की होगी . कोई Bill Gates, Steve Jobs types.  पर मेरे लिए ये एक बेहद सुखद आश्चर्य था कि Worlds Youngest CEO कोई और नहीं बल्कि एक भारतीय है.

तो आइये हम आपको मिलवाते हैं दुनिया के youngest CEO, Mr. Suhas Gopinath 
( सुहासगोपीनाथ) से.
                                                                    Suhas Gopinath
आज से करीब दस-बारह साल पहले जब सुहास ने Globals Inc की foundation डाली थी तो वो महज चौदह वर्ष के थे,और तब उन्हें खुद ही नहीं पता था कि वो दुनिया के सबसे कम उम्र केCEO बन गए हैं. और ये काम उन्होंने किसी आलिशान office  में बैठ के नहीं बल्कि Bangloreके एक छोटे से Cyber-Cafe में बैठ कर किया था.
आज Globals Inc  एक multi-million dollar company है और इसके operations USA, UK, Spain, Australia, इत्यादि देशों में फैले हुए हैं.  मात्र पच्चीस वर्ष की अवस्था मेंजब जादातर लोग अपनी पढाई पूरी करने में ही लगे होते हैंतभी Suhas Gopinath ने  अनेकों उपलब्धियां हांसिल कर रखी है 
  • वो World Bank की ICT Advisory Council के BOARD MEMBER हैं
  • साल 2007 में उन्हें European Parliament and International Association for Human Values ने Young Achiever Award से सम्मानित किया.
  • World Economic Forum. ने उन्हें ‘Young Global Leaders’for 2008-09 के सम्मान से भी नवाजा.
  . World Economic Forum मे वे अब तक अब तक के सबसे young member भी हैं.
क्या बात है!!!
आइये उन्ही की जुबान से जानते हैं उनकी कहानी:
सुहस का बचपन:
मैं एक माध्यम-वर्गीय परिवार से belong करता हूँ . मेरे पिता Indian Army में बतौर Scientistकाम करते थे. और में Banglore के Airforce School में पढता था. बचपन में मेरा interest animal और vetrinary science में था . लेकिन जब मैंने अपने दोस्तों जिनके पास PC थाको कंप्यूटर के बारे में बात करते सुनता था तो मेरे अंदर भी एक चाहत उत्पन्न हुई की मैं भी उनकी तरह बात करू.
उस वक्त हमारे घर पे computer नहीं था और न ही हम उसे afford कर सकते थे. इसलिए मैंने अपने घर के नजदीक ही एक Internet Cafe  find कियातब मुझे हर महीने सिर्फ 15 रूपए बतौर pocket money मिलते थेइतने पैसों में रोज internet नहीं surf  किया जा सकता था. लेकिन मैंने इस दूकान के बारे में एक चीज notice की थीये हर रोज दोपहर में 1 बजे से  4 बजे तक बंद रहती थी. मैंने दुकानदारको एक offer दिया कि school  के बाद 1 बजे से  4 बजे तक मैं आपकी दूकान खोलूँगा और customers  का ध्यान रखूंगा. बदले में आप मुझे free मेंnet surf करने देंगे. ये मेरी life की पहली business deal थीऔर ये काफी सफल साबित हुई.
Website बनाने की दीवानगी:
अब मेरे पास कंप्यूटर और Internet दोनों था ..धीरे-धीरे मैंने website बनाना शुरू कर दिया. और कुछ ही समय में ये मेरा passion बन गया. Internet  पे  कुछ freelance marketplace  होते हैं जहाँ मैं एक website-builder  के रूप में register हो गया. मुझे पहली वेबसाइट free of cost  बनानी पड़ी क्योंकि मेरे पास references  नहीं थे. ये New York  के एक कंपनी की वेबसाइट थी. मेरी पहली कमाई $100 की थी जो मुझे एक अन्य website बनाने पे मिलीतब मैं 13 वर्ष का था. चूँकि मेरा कोई bank account नहीं था इसलिए मैंने अपने पापा को इस बारे में बताया.
मैं पैसे को ले के जरा भी excited  नहीं था. क्योंकि मई ये काम पैसे के लिए नहींअपनेpassion  के लिए करता था. मैं free में भी वेबसाइट बनाता थातब मैं नौवीं कक्षा का ही छात्र था. उसके बाद मैंने coolhindustan.com नाम का एक पोर्टल बनाया. जो NRIs  पे focussed था. मैं इस पोर्टल के माध्यम से अपनी skills  दिखाना चाहता था.  उसके बाद तो कई कम्पनिया मुझे अपना web-designer  बनाने के लिए approach करने लगीं.
जब अपना पहला computer खरीदा:  
जब मैं 9th class  में था तभी मैंने computer खरीदने के लिहाज से काफी पैसे जमा कर लिये थे. उस समय मेरा भाई Engineering कर रहा था पापा ने सोचा उसे कंप्यूटर की ज़रूरत है और उसके लिए कंप्यूटर खरीद दियाकुछ ही समय में मैंने भी एक कंप्यूटर खरीद लिया. पर मेरे घर पे net-connection  नहीं था. Net-cafe में जादा समय देने से मेरी पढाई भी प्रभावित हुई. मैंने 9th के बाद अपनी सारी summer vacation cafe में काम करते हुए बिताई.
जब US से job-offer मिला :
जब मैं चौदह साल का था तब US की एक कंपनी NetworkSolutions से मुझे part -time jobका offer मिलावो US में मेरी education भी sponsor करने को तैयार थे . पर मैंने वो offer reject कर दिया क्योंकि उसी दौरान मैंने Bill Gates के बारे में पढ़ा था किउन्होंने कैसे Microsoftकि शुरुआत की थी.
मैंने सोचा अपनी कंपनी शुरू करने में जादा मजा है. US की कई कंपनियां मुझसे कहती थीं कि मेरी तो मूंछ भी नहीं है और वो मेरी services लेने में insecure feel करती हैं. वो मेरी abilityको मेरी उम्र और qualification से जोड़कर देखती थीं.इसलिए मैंने अपनी कंपनी शुरू करने कि सोची ताकि मैं दुनिया को दिखा सकूं कि age और academic qualification मायने नहीं रखते हैं. मैंने निश्चय किया कि जब मैं अपनी कंपनी start  करूँगा तो मैं सिर्फ youngesters  को लूँगा और उनसे उनकी academic qualification या marks के बारे में नहीं पूछूँगा. आज मैं इस चीज को अपनी कंपनी में follow  करता हूँ.
जब चौदह साल की उम्र में अपनी company start की :
Class 9th की छुट्टियाँ खतम होने के कुछ दिन बाद ही मैंने अपनी कंपनी Globals Inc.  की शुरुआत की. मैं कंपनी का नाम Global या Global Solutions रखना चाहता थापर दोनों ही नामavailable नहीं थेइसलिए मैंने Globals  नाम रख लिया.
मैंने अपनी  कंपनी US में  register कराइ क्योंकि India में आप 18 वर्ष से कम उम्र में कंपनी नहीं दाल सकते. US में कंपनी शुरू करने में बस 15 minute लगते हैं. मैं company  काowner और CEO बन गयामेरा एक दोस्त जो अमेरिका की एक University का छात्र थाboard member बन गया. मैं काफी excited था क्योंकि यही तो मैं करना चाहता था. उस दिन से मैं अपनी कंपनी को Microsoft  के जितना बड़ा बनाने का ख्वाब देखेने लगा.
पहले साल में Globals Inc का turn-over Rs. lac  था ,जो दुसरे साल में बढ़कर Rs. Lac हो गया.
 स्कूल में अच्छा ना करने पर: 
अपने pre-board CBSE exam में मैं Mathematics में fail हो गया. स्कूल की हेड-मिस्ट्रेसshocked हो गयीं,क्योंकि पहली बार मैं किसी subject में fail हुआ था. उन्होंने मेरी माँ को बुलाया और मेरी शिकायत की. घर पे माँ ने मुझसे कसम ली की मैं पढाई पे ध्यान दूँगा. मैंने अपनी माँ से कहा कि जब  दुनिया के सबसे अमीर आदमी ,Bill Gates ने अपनी पढाई पूरी नहीं की तो आप मुझे पढाई के लिए force  क्यों करती हैंतब उन्होंने कहा कि मैं sure हूँ कि तुम्हारी और उसकी कुंडली एक जैसी नहीं हैं.
मैं एक ऐसे परिवार से हूँ जहाँ entrepreneurship को पाप समझा जाता है. मेरी माँ काफीupset थीं वो चाहती थीं कि मैं पहले Engineering और फिर MBA करके किसी अच्छी कंपनी में काम करूं. अपनी माँ कि इच्छाओं का ख़याल रखते हुए मैंने चार महीने तक अपनी कंपनी के लिए कोई काम नहीं किया और board exams की तयारी में जुट गया . मैंने परीक्षाएं first classमें पास की.
 मैं अभी भी feel करता हूँ कि सिर्फ bookish knowledge से कुछ नहीं होता ,practical knowledge  बहुत जरूरी है.
Europe बतौर एक Market:
जब मैं 16-17 साल का था तब तक मैंने अपनी कंपनी के बारे मैं घर मैं किसी को कुछ नहीं बताया थावो येही समझते थे कि मैं एक freelancer हूँ . हम लोग वेबसाइट बनाना , online-shopping , e-commerce  से रेलातेद काम करते थे . कभी कभी हम US  में part-time programmers को भी काम देते थेपर अभी तक हमारा कोई ऑफिस नहीं था. जब मैं सोलह साल का था तब मैंने महसूस किया कि Europe में काफी opportunities हैं क्योंकि जादातर भारतीय IT companies  US पे ही focus कर रहीं थीं. जब मैंने Spain कि एक  कंपनी कोcontact किया तब उन्होंनेहमारे साथ ये कहते हुए काम करें से मन कर दिया कि Indians कोSpanish नहीं आती.
एक entrepreneur rejection नहीं स्वीकार कर सकता खासतौर पे जब वो young हो. मैंनेSpanish Universities  से पांच interns  को hire किया और उन्हें उनके successful sales  के हिसाब से pay करने को कहा. इन लोगों ने हमारी कंपनी के लिए projects लाये . तब मैंनेdecide किया कि Spain में हमारा एक office होना चाहिए.ठीक ऐसा ही मैंने Italy में भी किया.
जब Germany में Entrepreneurship पर बात करने गए : 
American news-paper और BBC मेरे बारे में काफी कुछ बता रहे थे Worlds youngest CEO at 14 from a middle class background”  मैंने कभी lime-light में आने के बारे में नहीं सोचा थामेरे लिए तो एक कंपनी स्टार्ट करना मेरे passion का हिस्सा था. ये सब देख कर Germanyके एक  B-School ने मुझे entrepreneurship पर अपने स्टुडेंट्स से बात करने के लिए inviteकिया. तब मैं 17 साल का था मैंने अपनी बारहवीं कि पढाई पूरी कर ली थी और बेंगलुरु के एक Engineering College में दाखिला ले लिया था. जब मैं 18 साल का था तब मैंने अपनी कंपनी का Europeanhead-quarter, Bonn में  set-up  कर दिया.
इस तरह से हमने एक छोटे से Internet Cafe से एक multi-national company तक का सफर तय किया जिसके operations आज  Europe, Middle East, the US, Canada, the UK, Australia,आदि जगहों पर फैले हुए हैं.
Suhas with Bill Gates
जब 18 साल में भारत में कंपनी register की :
जिस दिन मैं अठारह साल का हुआ उसी दिन मैंने अपनी  कंपनी को भारत में Globals  नाम सेregister कर लिया और चार लोगों को recruit  कर लिया. मैंने अपना ऑफिस उसी cafe के बगल में खोला जहाँ से मैंने अपने career  की शुरुआत की थी. अब तक वो cafe बंद हो चूका था और उसका मालिक किसी फैक्ट्री में काम करने कागा था. वो जब ही मुझे मिलता मई उससे येही कहता कि  आपने  मुझे तो entrepreneur बना दिया पर खुद एक नौकरी कर ली
 कंपनी को एक Products company बनाने पर:
हम अपनी कंपनी को एक products company  भी बनाना चाहते थे और हमारा focus educationपर था. हमने एक ऐसा software बनाया है जो बच्चे के स्कूल में दाखिले से लेकर उसके निकलने तक उसकी सारी जानकारी रखे.हम इस छेत्र में market leader बनाना चाहते हैं.  आज हमारा ये सॉफ्टवेर India, Singapore और Middle-East के सौ से जादा विद्यालयों में use हो रहा है.
जब Ex-President डा. अब्दुल कलाम से मुलाक़ात हुई:
                                                                              Suhas with  Dr. APJ Abdul Kalam
जब मैं Dr, Abdul Kalam से मिला तब वो भारत के राष्ट्रपति थे. तब मैं 17-18 साल का था . वो meeting 15 min की होनी थी लेकिन हमारा conversation इतना intense था कि हमारी मुलाक़ात देढ घंटे तक चली. मुझे लगा ही नहीं कि मैं President of India  से बात कर रहा हूँ. हम लोगों ने दो दोस्तों की तरह बात की. वो पहले टेबल की दूसरी ओर बैठे थे ,फिर बाद में मेरी बगल में आ के बैठ गए.यह मेरे लिए एक बड़ा ही यादगार और अच्छा learning experience था.
2005 में World Bank का board-member बनने पर:
 अपनी parents की इच्छानुसार मैंने engineering में दाखिला तो ले लिया पर Bill Gates की तरह  उसे complete नहीं कर पाया. जब मैं 5th Semester थातब World Bank  ने मुझे उनकीboard meeting attend करने
 के लिए invite  किया. उस board में मैं ही एक Indian था . इसका objective था किemerging economies में किस तरह ICT का प्रयोग करके quality of education को improveकिया जाय. Mr. Robert Zoellick , the President of World Bank  सिर्फ Americans को बोर्ड में नहीं चाहते थेवो और भी देशों से members चाहते थे. और चूँकि वो education पे focus  कर रहे थे इसलिए  वो young minds  को इसमें include  करना चाहते थे.
मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी Worls Bank का Board Member  बनूँगा. ये मेरी जिंदगी का सबसे unforgettable momnet था.मुझे direct Robert B Zoellick को report करना था. CEO of Cisco, VP of Microsoft ,CEO of SAP, etc भी इस बोर्ड के मेम्बर थे.
अपनी कंपनी के future पर :
मैंने हमेशा येही माना है कि IT  महज एक technology  नहीं है बल्कि problems solve करने का एक tool है. और मैं येही इस company  में करना चाहता हूँ . मैं चाहता हूँ कि Globals, educations से related software solutions provide  करने में market-leader हो.
जब मैं छोटा था तब मैं पैसों के बारे में जादा care नहीं करता था लेकिन अब मैं अपनेemployees  के लिए उत्तरदायी हूँ  , अगर मैं पैसों के बारे में न सोचूं तो हम scale-up नहीं कर पायेंगे. जब मैंने बेंगलुरु  के एक cafe से कंपनी  शुरू कि थी तब मैंने सोचा भी नहीं था कि एक दिन ये multi-million dollar कंपनी बन जायेगी . मेरा driving force  मेरा passion है और अभी तक का सफर काफी amazing रहा है.

हम विशेष आभारी हैं - http://www.achhikhabar.com/