क्यों होता है Emotional Atyachar ? बचने के कुछ tips.
“Emotional Atyachar” term की पैदाइश. DEV-D के गाने “तौबा-तेरा जलवा..तौबा तेरा प्यार…तेरा emotional अत्याचार ..” के कोख से सन 2009 में हुई. बचपन से ही होनहार ये term बिना ज्यादा समय गवाए बच्चे-बूढ़े -जवान सबकी जुबान पे चढ गया.वैसे ऐसा नहीं है कि ये अचानक ही आसमान से टपक पड़ा है. इसके पूर्वज धोखा, फरेब, betrayal, आदि को हम सदियों से जानते हैं.एक बात ध्यान देने की ये है कि Emotional Atyachar तभी हो सकता है जब किन्ही दो लोगों की relationship में कम-से-कम एक serious और loyal हो.
अगर कुछ एक दशक पहले कि बात करें तो Emotional Atyachar बहुत ज्यादा देखने को नहीं मिलता था ..पर अब तो ये पान कि दूकान जितना आम हो गया है…. ये अक्सर आस-पड़ोस, गली-चौरहों, college की canteens और office के गलियारों में दिखाई दे जाता हैं …हो सकता है आपके साथ भी ये हो चुका हो …या आप किसी के साथ ये कर चुके हो..anything is possible.
खैर जो भी हो! मैं ये सोच रहा था कि आखिर अचानक इस अत्याचार में इतनी बढोत्तरी कहाँ से आ गयी…दो-तीन बातें मेरे दिमाग में आयीं….
पहली— अगर कोई चीज आसानी से मिल जाये तो इंसान उसकी कीमत नहीं समझता.
दस-बारह साल पहले के प्रेमियों और आज कल के romeos में बहुत अंतर आ चुका है. पहले किसी affair के जन्म लेने में उतना ही वक्त लगता था जितना कि बच्चे को पैदा होने में लगता है,..करीब नौ महीने. लड़का लड़की को देखता है….college में….office में…balcony में या फिर कहीं और….अब वो लड़की की गतिविधियों पे नज़र रखना शुरू करता है….वो कब घर से निकलती है…कहाँ जाती है…उसकी कौन सी सहेलियां हैं, उसका भाई.. भाई तो नहीं है…और कहीं उसका पहले से ही कोई चक्कर तो नहीं है…इतना सब homework करने के बाद ही लड़का आगे बढ़ता था….पर आज-कल तो कोई ज़रा सा भी अच्छा लगा तो बस facebook पे search किया थोड़ी line मारी ….ठीक रहा तो ठीक नहीं तो next…और आज नहीं तो कल कोई न कोई मिल ही जाता है…और हो जाता है affair शुरू.
तो पहले कि बात करें तो एक relationship develop करने में इतने पापड़ बेलने पड़ते थे की सिर्फ वही लोग हिम्मत करते थे जिन्हें वाकई में प्यार होता था ..पर आज कल mobile और internet ने ये सब कुछ इतना आसान बना दिया है कि हिम्मत करने जैसी कोई बात ही नहीं रही…. और इसका हर्जाना उन बेकसूरों को भुगतना पड़ता है जो सच-मुच किसी relationship को लेकर serious होते हैं…वो बेचारे समझते हैं कि उनका partner भी उतना ही serious है..पर अफ़सोस बहुत बार ऐसा नहीं होता है…
अब आप ही सोचिये नौ महीने में मिले प्यार के ज्यादा टिकाऊ होने के chances हैं या नौ घंटे में मिले love के ??
दूसरी — Value System में बदलाव
अपने इस point को समझाने के लिए मैं एक latest example use करना चाहूँगा. क्या आपने- Band Baaza Baarat movie देखी है? मैं पिछले Saturday को ये movie देखी. इसमें hero और heroine जो अभी तक एक-दुसरे से प्यार .. भी नहीं करते हैं, बिना किसी prior motive के एक दुसरे के बहुत करीब आ जाते हैं..and finally they end up having sex with each other. अगर ये आठ-दस साल पुरानी मूवी होती तो क्या होता…शायद वो लोग guilty feel करते…पर
अभी क्या होता है…लड़का सोचता है कहीं ये लड़की अब उसके गले न पड़ जाये ..और लड़की सोचती है चलो अब इसी से प्यार और शादी कर लेंगे. इस movie के हिसाब से शादी से पहले sex कोई बड़ी बात नहीं रही, और sex और प्यार को अलग-अलग देखा जा रहा है..the hero had sex but is in no mood to marry…क्योंकि वो लड़की से प्यार नहीं करता!!!
ये एक बड़ा बदलाव है. मुझे लगता है जो लोग अपने beloved या spouse के आलावा किसी और से relationship रखते हैं वो कुछ ऐसा ही logic देते होंगे कि, “भले मैं किस और के साथ relationship में हूँ पर मैं प्यार तो उसी से करता हूँ.” दरअसल ऐसे लोग बस खुद को अपनी ही नज़र में गिरने से बचाने के लिए ऐसा सोचते हैं ..वो अच्छी तरह से जानते हैं कि ये गलत है….पर ….????
तो value-system में आया बदलाव भी कुछ हद्द तक जिम्मेदार है…जो चीजें पहले बहुत बड़ा पाप होती थीं अब वो महज़ एक भूल बनकर रह गयी हैं. और भूल तो सभी से होती है.!!!
तीसरी – Peer Pressure / दोस्तों का दबाव
अगर आपका boyfriend या girlfriend; (obviously depending on your sex) नहीं है तो आपको backward समझा जाता है….. “अरे!! क्या बात कर रही है –तेरा कोई boy-friend नहीं है”, मानो boy-friend न हो सांस कि नली हो कि इसके बिना मौत पक्की है. लेकिन क्या करियेगा जब तक आप अकेले हैं ये दोस्त-यार आपको घूरते रहेंगे और और मजबूरन आपको जल्द से जल्द एक साथी ढूँढना पड़ेगा…इस जल्द्ब्जी में दिल से करने वाला काम दिमाग से कर बैठेंगे…किसी cool guy या hot babe से relationship बना बैठेंगे. पर आपका दिल तो कुछ और ही तालाश करता रहेगा..और जिस दिन उसे वो मिली वो आपको Emotional Atyachar करने के लिए उकसाने लगेगा.
कैसे बचें Emotional Atyachar से:
- किसी committed relationship में जाने से पहले खुद को अच्छा-खासा वक्त दें. ज्यादा chance है कि अगर लड़का/लड़की serious नहीं है तो उससे ज्यादा दिन इन्तज़ार नहीं होगा..और आपको खुद-बखुद पता चल जायेगा.
- Relationship कि शुरुआत में अपने partner को test करें…may be ये आपको थोडा अटपटा लगे पर बाद में पछताने से अच्छा है कि पहले ही सावधानियां बरत ली जायें. अब test कैसे करें ये आप अपने best friend से ही पूछ लें तो अच्छा है..पर किसी common friend से पूछने कि गलती मत कीजियेगा. और एक बार अगर बंद/बंदी सही निकल जाए तो फालतू में उसपे शक भी ना कीजिये. By the way अगर test के इस खेल में आप पकडे जाएँ तो मेरा नाम बता दीजियेगा..कहियेगा सारा दोष इसी का है…इसी ने ये घटिया idea दिया था .
- अगर सब-कुछ ठीक-ठाक चलते चलते अचानक आपको ऐसा लगने लगे कि आपका partner cheat कर रहा है तो खुद से जानने कि कोशिश करें कि ऐसा आपको क्यों लग रहा है…आप थोडा alert हो जाइए अगर सच-मुच ऐसा हुआ तो कोई न कोई symptom दिख जायेगा..जैसे office से देर से आना , mobile का कुछ ज्यादा ही busy रहना,mail का password बदलना, etc …पर मैं एक बार फिर कहना चाहूँगा कि ज़बरदस्ती का शक कभी न कीजिये…कई बार अच्छी खासी relationship बेबुनियाद शक कि वज़ह से बर्वाद हो जाती हैं.
- अगर ऐसी मजबूरी आ जाये कि आपको अपने partner को छोड़ना पड़े तो भी आप सही तरीके से बात-चीत करके अपनी relationship को end कीजिये..बहुत हद्द तक आप खुद को अपने partner पे Emotional Atyachar करने से बचा पायेंगे…और कम-से-कम अपनी नज़रों में कुछ बेहतर स्थिति में होंगे.
जाते-जाते मैं एक बात कहना चाहूँगा…अगर आप सच्ची खुशी और एक everlasting relationship चाहते हैं तो Emotional Atyachar नहीं Emotional Satyachar कीजिये. पहले तो काफी सोच-समझ कर ही किसी relationship में खुद को commit कीजिये और अगर एक बार जो commit कर दिया तोउसे पूरी सच्चाई और इमानदारी से निभाइए. Relationship में छोटी-मोटी problems तो आएँगी ही आयेंगी लेकिन इसका solution Emotional Atyachar नहीं Emotional Satyacharहै. इस सत्याचार को अपना के देखिये जिंदगी खूबसूरत बन जायेगी.
मैं ये इसलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि मैंने हमेशा ही इसको follow किया है and I must say I am very happy to do that. इसका सबसे बड़ा फायदा खुद को ही होता है.आप अच्छा feel करते हैं कि आपने कभी किसी को धोखा नहीं दिया. धोखा खा के शायद कोई इतना बुरा न feel करे जितना वो धोखादे के feel करेगा…तो फिर ऐसी feeling आने ही क्यों दी जाये..क्यों न Emotional Atyachar को छोड़ Emotional Satyachar अपनाया जाये.
यदि आपके पास भी Emotional Atyachar से बचने के कुछ tips हों तो कृपया जनहित में अपने comments के द्वारा बताएं.Thanks.
Point to be noted:
मैंने इस article को mainly girlfriend/boyfriend relationship को ध्यान में रख के लिखा है. Married couples के लिए कुछ बाते तर्कसंगत हो सकती हैं पर मुख्यतः यह लेख unmarried लोगों को ध्यान में रख कर ही लिखा गया है.
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