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Thursday, November 24, 2011

अब आँखों के सामने 'हवा में तैरेंगे' ई-मेल



वैज्ञानिकों ने एक नए दौर के कॉन्टैक्ट लेंस का जानवरों पर प्रयोग किया है जो छवि को आँखों के सामने हवा में प्रक्षेपित कर सकता है.
इस नई तकनीक की मदद से लोग आँखों के सामने तैरते ई-मेल और तस्वीरों को देख और पढ़ सकेंगे.

इस लेंस पर वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता काम कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह तकनीक संभव है और सुरक्षित भी.इसके साथ-साथ इस नए लेंस से कमज़ोर आँखो वालों की दृष्टि भी मज़बूत होगी.
लेकिन इसके बावजूद कुछ मुश्किलें अब भी हैं. इनमें इस लेंस को ऊर्जा देने का बेहतर तरीक़ा ढूंढ़ना शामिल है.
फ़िलहाल इस लेंस का शुरुआती प्रारूप तभी काम कर सकता है जब वह वायरलेस बैटरी से कुछ सेंटीमीटर के फ़ासले पर ही हो.

खरगोश पर प्रयोग

इस लेंस का प्रयोग खरगोशों पर किया गया है. सुरक्षा के प्रयोग सफल रहे हैं और इन जानवरों की सेहत पर कोई ख़तरा नहीं देखा गया.
मुख्य शोधकर्ता प्रोफ़ेसर बाबाक प्राविज़ कहते हैं, "हमारा अगला लक्ष्य इस लेंस में कुछ अक्षर शामिल करने का है."
वह बताते हैं कि इस दिशा में एक बड़ी बाधा को पार कर लिया गया है. इस प्रक्रिया में मनुष्य की आँख को सतह पर बनी किसी छवि पर ध्यान केंद्रित करना होता है.
सामान्यत: हम तभी कोई तस्वीर देख सकते हैं जब वह आंखों से कुछ सेंटीमीटर की दूरी पर हो. लेकिन शोधकर्ताओं का यह लेंस फ़ोकस की दूरी को कम कर सकता है.
"हमारा अगला लक्ष्य इस लेंस में कुछ अक्षर शामिल करने का है."
प्रोफ़ेसर बाबाक प्राविज़, मुख्य शोधकर्ता

जब यह लेंस पूरी तरह तैयार हो जाएगी तो इसकी मदद से कई काम किए जा सकते हैं.
जैसे ड्राइवर अपने विंडस्क्रीन पर सफ़र की दिशाएं देख सकेंगे.
इससे वीडियो गेम को भी एक नए स्तर पर ले जाया जा सकेगा और कई चिकित्सा संबंधी यंत्रों में भी इसका प्रयोग हो सकेगा.

नाज़ुक

इस प्रयोग में कई नाज़ुक सामग्री इस्तेमाल की गई है. इसके सर्किट को बनाने में जिस धातु का प्रयोग किया गया वह सिर्फ़ कुछ नैनोमीटर मोटी है, यानी इंसानी बाल के हज़ारवें हिस्से के बराबर.
इस तकनीक पर काम करने में सिर्फ़ डॉक्टर प्राविज़ और उनकी टीम ही नहीं लगी हुई है. उनके अलावा एक स्विस कंपनी सेंसीमेड ने एक ख़ास किस्म का लेंस तैयार किया है जो कंप्यूटर की मदद से आँखों के अंदर दबाव को मापता है और ग्लॉकौमा की बीमारी में इस्तेमाल होता है.

Monday, November 21, 2011

न्यूट्रिनो प्रकाश की गति से तेज़

                                                                                  

     न्यूट्रिनो फिर से प्रकाश की गति से तेज़


वैज्ञानिकों के जिस दल ने अपने एक प्रयोग में ये पाया था कि न्यूट्रिनो की गति प्रकाश की गति से भी ज़्यादा हो सकती है, उसी दल ने फिर से एक बेहतर प्रयोग किया है. प्रयोग में फिर से पुराने नतीजे की ही पुष्टि हुई है.
सितंबर में जेनेवा में की दुनिया स्थित भौतिकी की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न में वैज्ञानिकों ने कहा था कि उन्होंने सबएटॉमिक पार्टिकल यानी अतिसूक्ष्म कण न्यूट्रिनो की गति प्रकाश की गति से भी ज़्यादा पाई है.अगर और प्रयोगों में भी यही नतीजे आते हैं तो इससे आधुनिक भौतिकी का एक मूल आधार ही बदल जाएगा.

लेकिन इस रिपोर्ट के आलोचकों का कहना था कि न्यूट्रिनो के लंबे समूह के कारण प्रयोग में ग़लती हो सकती है.


नए प्रयोग में छोटे समूह इस्तेमाल किए गए हैं. लेकिन अभी बाहरी वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन नहीं किया है


इस प्रयोग को 20 बार किया गया और नतीजा वही पाया गया.

भौतिकी का ये बड़ा सिद्वांत है कि प्रकाश की गति से तेज़ कुछ भी नहीं.
पहले ये सिद्वांत जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने दिया था और बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन की थ्यूरी ऑफ़ रिलेटिविटी में इसे शामिल किया गया था.

Friday, November 18, 2011

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