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Saturday, July 16, 2011

meri kalam se: कितनी सरलता से आज फिर अनायास हीबरस उठे मेघ नभमण्ड...

meri kalam se:
कितनी सरलता से आज फिर अनायास हीबरस उठे मेघ नभमण्ड...
: "कितनी सरलता से आज फिर अनायास ही बरस उठे मेघ नभमण्डल से, बरखा की एक-एक बूंद धरती की प्यास बुझाने गिरने को तत्पर लगती है नहीं पता इन बूंदों ..."

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