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Saturday, July 16, 2011

meri kalam se: अनकहा डर

meri kalam se: अनकहा डर: "वो पंछियों का कलरव, वो टहनियों कि मस्ती वो सरपट भागते विहंगों का काफिला, टपकती बूंदें किसी दूर चमन से जो आज आ लगीं मेरे कोरे से मन से, ए..."

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