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Saturday, July 16, 2011

meri kalam se: वो 'कल' जो होठों पे 'आज' बन कर मुस्कुरा रहा है .....

meri kalam se: वो 'कल' जो होठों पे 'आज' बन कर मुस्कुरा रहा है .....: "जी करता है रोक लूँ वो लम्हा, जो चला जा रहा है......... गर्भ में अगिनत पल संजोए एक और अध्याय बंद होने को है, नया पृष्ठ जो खुला जा रहा ..."

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